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Kalsarp or Chhaya Kalsarp

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Kalsarp or Chhaya Kalsarp

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क्या होता है कालसर्प योग? मिलते हैं इस तरह के संकेत, जानें प्रभाव और उपाय

हमारी कुंडली में कई तरह के योग बनते हैं। इन्हीं में से एक योग है- कालसर्प योग। इसके दुष्प्रभाव से व्यक्ति को धन का अभाव, संतान की हानि, दांपत्य सुख में बाधा, आजीविका में बाधा, कारागार का भय, स्वजनों से त्याग, अकाल मृत्यु आदि हो सकते हैं। इस योग के कारण जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ता है।

क्या है कालसर्प योग
जब कुंडली में राहु और केतु के मध्य में सारे ग्रह आ जाते हैं तब कुंडली में कालसर्प योग बनता है। कालसर्प योग दो शब्दों को मिलाकर बना है। इसमें पहला शब्द है काल, यानि मृत्यु और दूसरा शब्द है - सर्प, जिसका तात्पर्य सांप से है। कुंडली में कालसर्प योग के प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक कष्ट सहना पड़ता है। इसके साथ ही कई तरह की परेशानियां जातकों को सहना पड़ता है

काल सर्पयोग का प्रभाव कब होता है?

  • जब राहु की महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा आती है। 
  • जब भी गोचर वशात् राहु अशुभ चलता हो।
  • जब भी गोचर से कालसर्प योग की श्रृष्टि हो।

ऐसे मिलते हैं कालसर्प योग के संकेत

  • मानसिक एवं शारीरिक कष्ट का होना।
  • पैतृक संपत्ति का नष्ट होना।
  • भाई-बंधुओं से धोखा।
  • संतान से कष्ट।
  • शत्रुओं से निरंतर भय।
  • बुरे स्वप्न एवं अनिद्रा रोग।
  • कोर्ट कचहरी का सामना।

चढ़ाएं नागों के जोड़े

  • कालसर्प पूजन त्र्यंबकेश्वर नासिक मे ही करे
  • कालसर्प दोष दूर करने के लिए जातकों को मंदिरों में सोना, चांदी, तांबा, पीतल के नाग-नागिनों के जोड़े बनाकर चढ़ाने चाहिए। मंदिर में भगवान शंकर जी का विशेष अभिषेक करना चाहिए। रूद्राभिषेक कर नौ प्रकार के नागों की प्रतिमा बना उनको नदी में प्रवाहित करना चाहिए। नागों को प्रवाहित करने के बाद स्नान करें। पहने हुए वस्त्रों का त्याग करें। नवीन वस्त्र धारण करने का विधान है। नाग स्त्रोत का पाठ करें।

इस मंत्र का करें जाप
ऊं कुरू कुल्ये हुं फट्